Health fear freedom

मृत्यु के समय दुःख या भय से मुक्ति जिन लोगों का आत्मा के अस्तित्व पर विश्वास है , पुनर्जन्म मानते हैं , वे यह समझते हैं कि मृत्यु भी आत्मा की एक अवस्था विशेष है । जिस प्रकार स्थूल शरीर को आत्मा धारण करती है और उस स्थूल शरीर को नित्य बदलती रहती है , कभी बचपन उसमें दिखाई देता है , कभी किशोर अवस्था , कभी जवानी दिखाई देती है तो कभी बुढ़ापा । शरीर के रहने पर जिस प्रकार अनेक अनेक रूपान्तर होते हैं उसी प्रकार इस देह द्वारा संस्कारों का भोग प्राप्त होने पर इस देह को छोड़ कर दूसरे भोगोपयुक्त शरीर की रचना होती है । पहले शरीर को छोड़ना मृत्यु कहलाता है और शरीर को धारण करना जन्म । ईसी प्रकार जन्म एवं मृत्यु का चक्कर चला करता है । पर ऐसे लोग भी इस दुनियाँ में हैं जो आत्मा के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करते और इसलिये पूर्वजन्म पर भी उनका विश्वास नहीं उनके लिये यही जन्म सब कुछ होता है । इसलिये इस जन्म के प्रति , इस शरीर के प्रति उनमें अधिक मोह - अधिक ममत्व रहता है और सत्ता नाश का डर तो बना ही रहता है । ' हम काहू के मारे न मरें कहने वाले अनेक व्यक्तियों की कथायें पुराण इतिहास में मिल जाती है जन्म औ...